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01

(मौलिक आधार)

FUNDAMENTAL

COMPUTER (संगणक)

Meaning of all words Computer

Computer is an Electronic Data Processing Machine...!

DEFINITION of COMPUTER:

Computer is an electronic device which can compute, operate, memorized, print, up to date, tabulate, edit and response.

अक्षरशब्द (Word)अर्थ (Meaning)
CComputeगणना करना
OOperateनियंत्रित करना
MMemoryयाददाश्त रखना
PPrintछापना
UUp to dateताजा करना
TTabulateसारणिबद्ध करना
EEditकाट-छाँट करना, सुधार करना
RResponseप्रतिक्रिया

Computer is an Electronic Data Processing Machine...!

DEFINITION of COMPUTER:

Computer is an electronic device which can compute, operate, memorized, print, up to date, tabulate, edit and response.


ब्लेज़ पास्कल ने 1642 ई. में सर्वप्रथम एक mechanical calculation machine की रचना की। इस मशीन के प्रयोग से संख्याओं को जोड़ा और घटाया जा सकता है।

ब्लेज़ पास्कल के नाम पर ही इस मशीन को Pascaline के नाम से जाना जाता है।

Computer शब्द की उत्पत्ति लैटिन भाषा के Compute शब्द से हुई है, जिसका अर्थ गणना करना होता है।

Computer उस मशीन या यंत्र को कहते हैं, जिससे गणना की जा सके।

Computer वह Electronic Machine है, जिसके द्वारा किसी भी प्रकार के आँकड़ों (Data) को संग्रहित (Store) एवं विश्लेषित (Process) किया जाता है।

इसके साथ ही यह भी एक स्मृति यंत्र (Memory Device) है, जिसके साथ ही साथ पढ़ने, बहुत ही कम समय में कार्य करने और परिणाम प्राप्त करने की क्षमता होती है।

HISTORY OF COMPUTER

वैसे तो Computer आधुनिक युग की खोज माना जाता है, परंतु 1800 ई. के बाद बिजली के आविष्कार ने हमारे जीवन में एक क्रांति ला दी।

विश्व युद्ध में पड़ी। युद्ध में विश्व के लगभग सभी देश शामिल थे। लड़ने वालों की संख्या की सीमा से अधिक हो गई थी।

उनके लिए आवश्यक युद्ध सामग्री जैसे – गोली, बारूद, बम, हथियार आदि की आवश्यकता होती थी, जिसे जानने में बहुत सारे लोग एकत्र होकर कार्य करते थे।

जिससे बहुत समय बर्बाद होता था, किस मार्च पर कितने सैनिक कार्यरत हैं, इस बारे में जानकारी आवश्यक थी। इस समस्या को दूर करने के लिए वैज्ञानिकों ने एक मशीन बनाने का प्रयास किया।

और एक अद्भुत प्रयास का आधुनिक युग का Computer है।

जिसका आविष्कार सन 1824 ई. में चार्ल्स बैबेज (Charles Babbage) ने पूर्ण रूप से किया।

तत्पश्चात लगभग 1880 ई. में अमेरिका के अखबार ने अपने देश में जागरूकता को सफल बनाने के लिए एक भ्रमण प्रतियोगिता का आयोजन किया और सारे वैज्ञानिकों को उसमें आमंत्रित किया।

उन वैज्ञानिकों में से हार्मन होलेरिथ (Herman Hollerith) नाम के वैज्ञानिक ने tabulating machine का आविष्कार किया और जिसका प्रयोग उन्होंने जनगणना का कार्य समाप्त करने के लिए किया गया।

इस प्रयोग के सफल होने पर होलेरिथ ने tabulating machine corporation नामक कम्पनी की स्थापना की।

अन्ततः यही कम्पनी आगे चलकर कंप्यूटर क्षेत्र में आज की अग्रणी कम्पनी I.B.M (International Business Machine) नाम से प्रसिद्ध हुई, जिसे आज हम Personal Computer (P.C.) के नाम से जानते हैं।

GENERATION OF COMPUTER

विकास युग की पीढ़ियाँ

Computer के इतिहास को वैज्ञानिकों ने अलग-अलग पीढ़ियों में बाँटा है।

1. First Generation of Computer (1951–59):

Computer के इतिहास की पहली पीढ़ी का आरम्भ सन 1951 के मध्य से माना जाता है।

इस समय के निर्मित computer...

1. इस electronics पर आधारित vacuum tube का प्रयोग किया जाता था। एक computer में electronics पर आधारित हज़ारों vacuum tube का प्रयोग करना पड़ता था, जिससे वह बहुत गर्म पैदा होती थी। इस प्रकार के computer बहुत बड़े आकार के होते थे, जिससे repairing में ज़्यादा परेशानी होती थी।

2. Second Generation of Computer (1959–65)

Computer के इतिहास में वैज्ञानिकों ने 1959–65 के मध्य की दूसरी पीढ़ी के रूप में मान्यता दी है। सन 1948 में transistor का निर्माण हो जाने के बाद तकनीकी क्षेत्र में क्रांति सी आ गई और इस पीढ़ी के computer में एक बदलाव आया। Vacuum tube के जगह पर transistor का प्रयोग किया गया। वैज्ञानिकों द्वारा यह खोज बहुत उपयोगी रही। इससे computer के कार्यक्षमता में वृद्धि हुई और विश्वसनीयता के साथ कार्य किया जाने लगा

3. Third Generation of Computer (1965–70)

Computer के इतिहास में वैज्ञानिकों ने 1965–70 के मध्य को तीसरी पीढ़ी के रूप में मान्यता दी है। इस समय के system को उन्नत करने के लिए I.B.M. ने महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई। इस पीढ़ी के computer में IC (Integrated Circuit) का प्रयोग किया गया। IC सिलिकॉन चिप्स पर बने एक छोटे परन्तु सम्पूर्ण circuit को कहते हैं। इस पीढ़ी के computer की कार्यक्षमता लगभग 10000 गुना अधिक हो गई।

4. Fourth Generation of Computer (1970–90)

Computers के इतिहास में वैज्ञानिकों ने 1970–90 के मध्य को चौथी पीढ़ी के रूप में मान्यता दी है। इस micro processor के आने जाने पर computer की कार्यक्षमता और क्षमता बढ़ गई। अपना personal computer बाजार में आ गया। इस computer में keyboard, mouse और monitor का प्रयोग किया जाता है।

5. Fifth Generation of Computer (1990–Present):

Computer के विकास का यह पाँचवाँ चरण 1990 से वर्तमान तक है। इस पीढ़ी के computer में micro chip का प्रयोग होने लगा है। micro chip लगने के कारण इस पीढ़ी के computer की कार्यक्षमता अधिक हो गई है। पहले के computer की अपेक्षा यह computer दुनिया के किसी भी कोने को कुछ ही क्षणों में 100% में हिस्सा प्राप्त कर लेता है।

Types of Computer:

Computer के प्रयोग के आधार पर तीन भागों में बाँटा गया है:

  1. Analog Computer
  2. Digital Computer
  3. Hybrid Computer

1. Analog Computer:

Analog Computer का विकिरण और प्रवाह आपके लगातार बंद हो गया है। इसके द्वारा गणना करने वाले कार्य अंकों को मापने पर आधारित होता है।

2. Digital Computer:

Digital Computer में गणना और संचालन स्वतः ही भी होते हैं। यह गणनाओं के आधार पर कार्य करता है।

3. Hybrid Computer:

यह Digital Computer और Analog Computer दोनों के विशेषताओं को मिलाकर कार्य करता है। यह Computer ऐसा होता है, जिसमें CPU digital computer की तरह होती है, और input तथा output की सुविधा analog computer की तरह होती है।

Classification of Computer:

क्षमता के आधार पर Computer को मुख्य चार भागों में बाँटा गया है:

  1. Micro Computer
  2. Mini Computer
  3. Mainframe Computer
  4. Super Computer

1. Micro Computer:

Micro Computer का विकास 1970 में हुआ था। इसका अंदर छोटा सा micro processor लगा होता है। यह computer आकार में छोटा होता है। कीमत में भी सस्ता होता है। यह computer अधिक क्षमतावान होते जा रहे हैं। आजकल micro computer को दो श्रेणियों में बांटा गया है –

(i) Personal Computer Extended Technology (P.C.X.T)

(ii) Personal Computer Advanced Technology (P.C.A.T)

For Example:

Personal Computer (Desk Top), Laptop, Tablet PC etc.

2. Mini Computer:

यह computer micro computer से बड़ा तथा main frame computer से छोटा होता है। इस computer का प्रयोग सामान्यतः अपने बड़ी कम्पनियों एवं संस्थाओं में करने हेतु किया करते हैं। व्यक्तिगत रूप से इसको प्रयोग करना असंभव है। इसका मूल्य 5-50 लाख रुपयों प्रति सेट के बीच होता है।

3. Main Frame Computer:

इस श्रेणी के computer आकार में बड़े होते हैं।

 इसकी कार्यक्षमता micro computer और mini computer की अपेक्षा अधिक होती है। इस computer का प्रयोग विशेषतः बैंकिंग संस्थाएं एवं सरकारी संस्थाएं data processing के लिए करती हैं। समय में बहुत से व्यक्ति काम कर सकते हैं।

4. Super Computer:

आज तक के सभी computer में सबसे अधिक शक्तिशाली super computer है। इस computer का प्रयोग वैज्ञानिक कार्यों तथा networking के लिए करते हैं। इस श्रेणी के computer आकार में बहुत बड़े होते हैं। इसकी कार्यक्षमता भी अधिक होती है। इस computer की निर्माण 1998 में C-DAC नामक संस्था के द्वारा किया गया।

Computer की कार्य प्रणाली और संरचना:

हम जानते हैं, कि computer एक electronic machine है, जिसका प्रयोग जानकारी प्राप्त करना तथा data को process करने के लिए करते हैं।

Computer के प्रयोग हेतु इसके input device – keyboard के द्वारा.

Data को process करता है।

यह निर्देश computer के मस्तिष्क (C.P.U.) को जाता है। उसके बाद यह output device के द्वारा बाहर प्राप्त किया जा सकता है।

DEVICE

Input Device ← → Output Device

keyboard, mouse, mic, scanner ←→ monitor, printer, speaker

Computer में input device और output device निम्न प्रकार के होते हैं।

Input Device – Computer में जिस उपकरण के द्वारा data को computer के अंदर process किया जाता है, उसे input device कहते हैं।

1. Keyboard –

यह एक मुख्य input उपकरण होते हैं।

यह computer में किसी भी data को type करने के कार्य में लाया जाता है। Keyboard पर अक्षर, अंक और कुछ विशेष चिह्न लिखे रहते हैं।

Keyboard के सभी key के समूह को keys कहते हैं। इसी को...

देखकर computer में process किया जाये संकेत दिया जाता है।

आजकल लगभग सभी keyboard में 104 या उससे अधिक key वाले keyboard उपलब्ध हैं।

Keyboard के मुख्य महत्वपूर्ण प्रकार की key का वर्ग इस प्रकार है।

(i) Type Write Key (A to Z):

यह key computer के keyboard के सामान्य key होते हैं, जिसमें अक्षर, अंक और विशेष चिन्ह (marks) शामिल होते हैं।

(ii) Function Key (F1 to F12):

यह key F1 से F12 तक के computer keyboard के ऊपर भाग में display होते हैं।

(iii) Cursor Control Key (← ↑ ↓ →):

यह key computer keyboard के नियंत्रित भाग में स्थित होते हैं।

इस key का प्रयोग लिखे गये document में cursor को left, right, top, bottom आदि दिशा में ले जाने के लिए करते हैं।

(iv) Insert Key:

यह एक महत्वपूर्ण key होता है। इस key का...

लिखे जा रहे दो शब्दों के बीच या दो अक्षर के लिये कोड किये गए अक्षर insert करने के लिए करते हैं।

(v) Delete Key:

इस key का प्रयोग हम cursor की स्थान पर मौजूद अक्षर को मिटाने के लिए करते हैं।

जिस अक्षर को मिटाना होता है, उस अक्षर के आगे तक cursor को लाकर उस स्थान पर select करके उसे मिटाया जा सकता है।

(vi) Home Key:

इस key का प्रयोग हम लिखे गए document में cursor को पंक्ति के शुरू में ले जाने के लिए करते हैं।

(vii) End Key:

इस key का प्रयोग हम लिखे गए document में cursor को पंक्ति के अंत में ले जाने के लिए करते हैं।

(viii) Page Down Key:

इस key का प्रयोग हम लिखे गए document में cursor को एक page आगे ले जाने के लिए करते हैं।

(ix) Page Up Key:

इस key का प्रयोग हम लिखे गए document में..

Cursor को एक page पीछे की ओर ले जाने के लिए करते हैं।

(x) Number Key (Numeric Key):

यह keypad computer keyboard के दायीं भाग में स्थित होती है।

यह keypad वह key का समूह होता है जो एक calculation के समान होता है।

इस key पर जो button दिए होते हैं, इसी key pad के ऊपर Num. Lock key रहती है।

Num. Lock को दबाकर किया जाता है, इसके बिना कार्य नहीं करता।

(xi) Caps Lock Key:

जब हम type करते हैं, तो सामान्यतः अक्षर lowercase में type लगाते हैं।

जब हम caps lock key को दबाते हैं तो सभी अक्षर upper case में type होने लगते हैं।

इसके पूर्व दिशा में लाने के लिए पुनः press करते हैं।

Caps key on/off होने के किया गया key board की दायीं ओर light लगी रहती है, जो कि हरी बत्ती से on की दिशा में जल जाती है।

(xii) Shift Key:

इस key का प्रयोग upper case में type करने के लिए करते हैं।

इस key को दबाकर रखने से keyboard के ऊपर बनी हुई key को दबाने पर वह अक्षर upper case में type होने की बजाय यदि caps lock की on स्थिति भी होती है और यह key दबायी जाती है तो वह दिशा में जिस key पर दो अक्षर बने होते हैं उस key को ऊपर वाला अक्षर type होता है।

(xiii) Ctrl + Alt + Del Key:

इस key का प्रयोग अक्सर विशेष कार्य के लिए होता है जैसे – Ctrl + C को दबाने पर M.S. DOS में चल रही command एक को बंद करती है।

इसी प्रकार से हम Hard Booting करने के लिए Ctrl + Alt + Del key को एक साथ दबाकर दबाने पर computer system स्वतः off होकर दुबारा on हो जाता है।

(xiv) Enter / Return Key:

इस key का दो मुख्य कार्य होते हैं।

एक तो दी गई command की पुष्टि करना,

दूसरा कार्य प्रयुक्त के निर्देश लिखे जा रहे document में नई पंक्ति शामिल करना,

इसी प्रकार से।

Windows में दिये गये command की select करके

प्राप्त key के द्वारा open किया जाता है।

(xv) Tab Key:

इस key का प्रयोग cursor को पूर्व निर्धारित स्थान पर ले जाने के लिए करते हैं तथा लिखे जा रहे document में paragraph आगे करने के लिए करते हैं।

और Windows के dialog box में एक menu से दूसरे menu में जाने के लिए भी इस key का प्रयोग किया जाता है।

(xvi) Escape Key:

इस key का प्रयोग हम अधिक से अधिक application programme में करते हैं, तथा इस key का प्रयोग दिये गये command को नजरअंदाज करने के लिए करते हैं।

(xvii) Backspace Key:

इस key का प्रयोग हम अधिक से अधिक application programme में cursor के बाई ओर लिखे गए अक्षर को मिटाने के लिए करते हैं

MOUSE

Computer के input उपकरण में mouse भी एक input device है। Mouse का उपयोग आज की सारी computer में किया जाता है। यह इस तरह युक्ति के सामान होता है। Mouse में दो या तीन बटन लगे रहते हैं जिससे अनेक कार्य किए जाते हैं। Mouse को computer के नीचे table पर tracking bubble लगा रहता है जो अपनी आगे-पीछे और दाएं-बाएं की ओर से घुमाने पर cursor bar लगे रहते हैं।

Computer में mouse का उपयोग करके graphic design का कार्य सरलता पूर्वक किया जाता है। Mouse की आविष्कार वर्ष 1964 में डॉ. डगलस एंजलबर्ट के द्वारा Bell Laboratories में किया गया था।

SCANNER

Computer के उपकरणों में scanner भी एक महत्वपूर्ण उपकरण होता है। इस उपकरण के द्वारा हाथ से लिखे गए दस्तावेज़ या किसी भी प्रकार के document को computer की memory में लाया जाता है।

Scanner के द्वारा scan किया हुआ चित्र output प्राप्त होता है। इसकी output CPU (Central Processing Unit) से जोड़ा जाता है।

OUTPUT DEVICES

MONITOR

यह एक output device होता है जिससे हम दिए गए निर्देशों को screen पर देखने के लिए करते हैं। अर्थात जो हम keyboard के द्वारा type करते हैं, वह हमें monitor screen पर देखने को मिलता है। Monitor दो प्रकार के होते हैं –

  1. LCD (Liquid Crystal Display)
  2. CRT (Cathode Ray Tube)
    आज-कल LCD का ही प्रयोग होता है। और एक अच्छे monitor में 356 color होते हैं।

SPEAKER

इसका प्रयोग हम computer द्वारा सुनने के लिए sound को बाहर लाने के लिए करते हैं। यह एक output device होता है।

CPU (Central Processing Unit)

यह computer के उस अंग को कहते हैं जो सबसे महत्वपूर्ण भाग की श्रेणी में आता है। तथा यह किसी प्रकार से computer के कार्यों को नियंत्रित करने का कार्य करता है। सामान्य रूप से तकनीकी भाषा में इसे micro processor भी कहा जाता है।

यह computer के दिए गए निर्देशों से बड़े प्रयोजन हेतु file तैयार करता है। micro processor द्वारा दिए गए निर्देश से कार्य करता है। यह निर्देश एक सॉफ्टवेयर के द्वारा इसके हिस्सों को संचालन करने के लिए उपयोगी होता है। इसे जोड़ने हेतु box तैयार किया जाता है जिसे PC कहते हैं।

इसके अंदर RAM, ROM, motherboard, micro processor, Hard Disk, power supply आदि सभी उपकरण लगे रहते हैं।

MEMORY

Primary memory

→ RAM

Secondary memory

→ ROM, Hard Disk, CD, Pen drive

computer पर जो कार्य किया जाता है उसे कार्य करने के लिए computer के प्रत्येक भाग के सहयोग के साथ-साथ निर्देशों की आवश्यकता होती है जो कि processing की वह क्रिया जो भी निर्देश computer को दिए जाते हैं वह computer अपनी memory में रख लेता है।

memory की जो primary memory के नाम से जानी जाती है,

इसे हम RAM कहते हैं।

PRIMARY MEMORY

RAM (Random Access Memory):

यह एक अस्थायी प्रकार की memory होती है जिसका उपयोग computer processing द्वारा मिले परिणामों को स्थायी रूप से secondary memory में स्टोर करने के लिए करते हैं।

इससे पहले हुए computer से process किए गए डाटा और programme की output device को देखने के लिए रखा जाता है एवं संचालन के लिए करते हैं।

SECONDARY MEMORY

Secondary memory एक स्थायी memory होती है, जिससे कोई file स्थायी रूप से रखी जा सकती है। इसमें मालूम समय तक किसी भी प्रकार की file को रखा जा सकता है।

ROM (Read Only Memory):

इस प्रकार की memory स्थायी memory होती है। इस memory पर लिखे गए data को पढ़ा जा सकता है, लेकिन इस memory में जो लिखा गया data वह computer की memory में input कर रखा होता है।

उदाहरण के लिए design किये गए output को प्राप्त करने के लिए design का मनुष्य द्वारा सोच लिया जाता है।

मनुष्य सोते समय अपने दिमाग से सब कुछ भूल जाता है, और जो data वह अपने हाथ से लिखता है उसे डायरी में पढ़कर उसको याद कर सकता है।

उसी प्रकार computer में RAM की मदद से लिखी गई तथा हाथ से memory (ROM) के द्वारा डायरी को secondary memory मानते हैं।

MEMORY STATUS

kotlin

CopyEdit

8 Bit = 1 Byte 1 Byte = 1 character (a or 9) 1024 Byte = 1 KB (kilo Byte) 1024 KB = 1 MB (mega Byte) 1024 MB = 1 GB (giga Byte) 1024 GB = 1 TB (tera Byte)

HARD DISK

हम अधिकतम मात्रा में data को store करने के लिए Hard disk का उपयोग करते हैं।

Hard diskfloppy disk की भांति होती है। Hard disk पूरी तरह sealed होती है और recording सतह पूर्ण रूप से सुरक्षित रहती है।

यही कारण है कि यह disk काफी भरोसेमंद होती है। इसकी क्षमता 10 GB से 500 GB तक उपलब्ध है।

COMPACT DISK

यह secondary memory के अंतर्गत आती है। इसमें हम किसी भी file का उपयोग स्थायी रूप से कर सकते हैं तथा इसे open कर के पढ़ सकते हैं। यह दो प्रकार की होती है –

  1. CD/R (Readable)
  2. CD/RW (Read & Writeable)

CD/R (Readable) – इसमें रखे गये फाइल को भी सिर्फ़ देखने के लिये प्रयोग कर सकते हैं। इसका कोई सुधार नहीं कर सकते।

CD/RW (Read & Writeable) – इसमें रखे गये file को देखने के साथ-साथ writeघाटे या सुधार भी कर सकते हैं।

PAN DRIVE

यह भी secondary memory के अंदर आता है। इसमें रखे गये file को देखने के साथ-साथ writeघाटे या सुधार कर सकते हैं।

भी कर सकते हैं। इसकी आखरी धोली होने के कारण इसे हम एक स्थान से दूसरे स्थान पर आसानी से ले जा सकते हैं।

इसकी क्षमता 2 GB से लेकर 64 GB तक की अभी बाजार में उपलब्ध है।

Floppy Disk

Floppy Disk एक लचीली आकार में होती है। यह एक धातु की कोटिंग होती है, जिसमें .com फाइल को store किया जाता है।

यह एक master disk होती है। यह size में उपलब्ध होती है। आज केवळ 3.5 इंच की floppy disk ही बाजार में उपलब्ध है।

इसकी क्षमता 1.44 MB होती है।